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स्वतंत्रता की प्रथम क्रांति का आगाज करने वाले धरती आबा बिरसा मुंडा जयंती पर जमशेदपुर में टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा आदिवासी वैचारिक सम्मेलन “संवाद 2024” का आयोजन सम्पन्न

प्रदीप कुमार गांगले

जमशेदपुर झारखंड : धरती आबा बिरसा मुंडा जयंती पर उनके त्याग समर्पण व स्वाभिमान और वीरतापूर्ण बलिदान पर टाटा फाउंडेशन ने पुरे देश के समस्त राज्यों से बुलाये कलाकार जनजातीय समाज के कलाकारों का 551 नगाडों के साथ प्रकृति व पुरखों को याद करते हुए सम्मेलन का हुआ शुभारंभ नृत्य देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक एवं शहर मूल आदिवासी कलाकारों को एवं भील आदिवासी आयुर्वेदिक जडी, बूट्टी प्राकृतिक चिकित्सा एवं आदिवासी तेल , प्राकृतिक हस्त कलाओं एवं आदिवासी भित्ति चित्रकला भाषा लिपि से राजस्थान का नेतृत्व करते हुए उदयपुर और बांसवाड़ा सम्भांग से शोधार्थी कुसुम रावत पूर्व राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष (आदिवासी एकता परिषद), कलाकार दिलीप कुमार डामोर (शोधार्थी), प्रवीण बरंडा, मांगी लाल गमेती, आदिवासी आयुर्वेदिक चिकित्सक सम्भू सागिया , शोधार्थी ललित कुमार मीणा, मानसिह मईडा , अरविंद डेंडोर (भूगोलवेत्ता) टाटा फाउंडेशन आदिवासी सांस्कृतिक, सामाजिक ,साहित्य, दर्शन पर शोध के क्षेत्र में भी काम करता है व एवं सामाजिक चिंतक दुर्गा शंकर निनामा अध्यक्ष (बांसवाड़ा संभाग) आदिवासी एकता परिषद राजस्थान, राजेश निनामा, अंकिता रावत , भील सामाजिक सांस्कृतिक युवाओं व और आदिवासी क्षेत्रों मे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की चुनौती को लेकर संवेधानिक फेलो दशरथ भगोरा इत्यादि ने अपना प्रतिनिधित्व कौशल प्रदर्शित किया व टाटा फाउंडेशन के समस्त समूह के सदस्यों ने राजस्थान को धन्यवाद व आभार प्रकट किया और टाटा फाउंडेशन समूह देश में आदिवासियों के लिए आदिवासी हेंडिक्राप्ट व चित्रकला और मूर्तिकला व संगीत , आदि व्यंजन , आदिवासी साहित्य संस्कृति एवं विरासत एवं पृथ्वी के लिए आदिवासियत जीवन शैली और समस्त प्राणीयों का जीवन बचाने के लिए दुनियाँ में आदिवासियत सरल सहज विश्वसनीय प्राकृतिक सांस्कृतिक जीवन अपनाने और फैलाने पर जोर देते हुए संवाद हुआ पर 15 से 19 नवम्बर तक संवाद टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा एक आदिवासी सम्मेलन 2024 हुआ जिसमें भारत से दक्षिणी राजस्थान का प्रतिनिधित्व भी अहम रहा कार्यक्रम में संगीत और सिनेमा के माध्यम से आदिवासियों की कहानी कहने को समर्पित था। सोनारी स्थित ट्राइबल कल्चर सेंटर में पोर्टरेट इन लैंडस्केप और ह्यूमन फार्माकॉपिया जैसी कार्यशालाओं और पैनलों ने जनजातीय स्वास्थ्य प्रणालियों की भूमिका और समकालीन समाज में पारंपरिक चिकित्सकों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। इसने आधुनिक चिकित्सा
में जनजातीय उपचार पद्धतियों की प्रभावकारिता पर जोर देने के तरीके खोजने पर भी ध्यान केंद्रित किया। जनजातीय उपचार की महता की जानकारी कैसे समाज के अधिक से अधिक लोगों को दी जाए ताकि वे इसका लाभ ले सकें।
लाइट्स, कैमरा, एक्शन विषय के तहत सिनेमाई सत्रों में यह पता लगाया गया कि फिल्म निर्माण आदिवासी कथाओं को कैसे पकड़ और बढ़ा सकता है। ये सत्र सेंटर फॉर एक्सीलेंस, जमशेदपुर में आयोजित किए गए और इसमें उभरते फिल्म निर्माताओं और आदिवासी कहानीकारों ने भाग लिया। इस दौरान फिल्मकारों ने अपनी चुनौतियों के साथ कैसे आगे बढ़ रहे हैं इसकी कहानी भी बताई। साथ ही नए कलाकारों के टैलेंट को और कैसे निखारा जाए इसपर भी विचार विमर्श किया गया। गोपाल मैदान में शाम के प्रदर्शन में प्रसिद्ध रिदम्स ऑफ द अर्थ कलाकारों की टोली शामिल हुई, जिसके बाद नागा लोक ब्लूज के अग्रणी गुरु रेबेन का भावपूर्ण प्रदर्शन हुआ। ये कार्य आदिवासी संगीत की समृद्ध विविधता, परंपरा और विरासत के मिश्रण को दशति हैं। इस दौरान शहरवासियों सांस्कृतिक कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया साथ में भारी भीड़ जमशेदपुर के गोपाल मैदान में उमड़ी व मंत्र मुग्ध होकर देखती रह गई ।

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